कहाणी School वाली – थोडी पुरी थोडी अधुरी

कहाणी School वाली – थोडी पुरी थोडी अधुरी
कहाणी School वाली – थोडी पुरी थोडी अधुरी

ये कहाणी शुरू होती है | सातवी कक्षा के एक class से ३२ लडकिया ३० लडके कोई होशियार है| तो किसीको कूच नही आता | कोई बहोत ,असती करता है |तो कोई है बहुत शांत | मगर उन दोनो जैसा कोई नही में बात कर राहा हु एक ऐसे लडका और लडकी कि जिनकी कहाणी थी तो पुरी मगर रह गयी आखिर अधुरी | तो कहाणी शुरू होती है सब बचो का अडमिशन जून के महिने में छटी कक्षा से सातवी कशा में हो गया था लगभग 3 महिने अडमीशन हुये बित चुके थे |सारे छात्र मिलजुलकर रहते हसी मजाक करते खेलते कुदते | अध्ययन भी करते तीन बहोत अच्छे गुजर रहे थे | इसी बीच अचानक हिंदी कि class के सर ने सभी बचो को एक बडासा Homework दे दिया सभी | सारे लडके लिखने लगे एक रेस शी सुरु हो गयी थी |

उस रेस ई वो दोनो भी शामिल थे लडके का नाम था जीवन और लडकी का नाम था वर्षा | पेहले तो मेहेस सिर्फ classmate थे अचानक एक दिन इस रेस में जीवन अवल है | आईसा वर्षा को पता चला और सब प्रश्नो के उत्तर कहासे धुंडके तुम लिखते हो ऐसा उसने आखिर जीवन से पुच लिया तो जीवन ने बताया कि उसने ८ वी class वाले लडके से एक गाईड्स  Secondhand में लेलीये है | और उसमे सारे सवालो के जवाब मौजूद है तो मैने वाहसे मै सारे सवालो के जवाब लिखे है | ये सुनकर वर्षा बहोत खुश हुई उसने जीवन से कहा क्या वो गाईड्स तुम मुझे दोन दिन के लिये दे सकते हो | जीवन केहता है ठीक है अभी तो मेरे पास नही है मगर कल आते समय मै लेते आयुंगा और तुम मुझसे लेलो ok | इसी संभाषन से | school कि घंटी बजी और school छुट गया अगले दिन school में जाते समय उसने याद से गाईड लेलीये और school के लिये चल दिया school पहुचा class शुरू हुई मगर वर्षा कही दिखाई नही दे रही थी वो हमेशा पेहले बेंच पर  बैठती थी  मगर कही दिखाई नही दे रही थी |

कहाणी School वाली – थोडी पुरी थोडी अधुरी
कहाणी School वाली – थोडी पुरी थोडी अधुरी


Techer आये और Presenti देणे लगे तभी वर्षा का roll number ८ था मगर वो खडी नही हुई| तो टीचर ने rollnumber वापस पुकारा कोई खडा न होणे पर सर ने presenti नही लगाई |

और जीवन के दिमाग में सवालो का कुहरा मच गया क्या हुआ होगा |भला क्यो नही आयी |कही कूच हुआ तो नाही हालाकी दोनो भी साथ में पडते थे मगर कल तक दोनो ने बात नही कि थी और बात कि तो ये क्या हो गया आखिर कल बात किये हुये लडकी के बारे में जीवन इतना क्यो सोच राहा था | “अरे दोस्तो समजे नही क्या ? बात नही कि इसका मतलब वो उसे नही जानता था क्या ? वो हर रोज उसे देखके खुश होता था |उसके बारे में सोचता रेहता था और उसको दोस्त बनानेकी कोशिश करता था | उस दिन उसने सोचा कि चलो उसके घर जाकर उसको गाईड्स दिया जाये school के बाद उसकी school कि दोस्त से उसने वर्षा का पत्ता पुच्छा और उसके घर डरते डरते चला गया तभ उसे पता चला कि वर्षा कि तबियत खराब हो गयी थी उसने उसे गाईड दिया और उससे बिदा लेके चला आया |

दोन दिन बाद वर्षा आयी उसने गाईड लौटते हुये जीवन को धन्यवाद जताया और जाकर बेंच पर बैठ गयी ये बात दोनो के class के एक नटखट बचे ने देख ली और उसने सारे class को बताया कि वर्षा जीवन कि दोस्त बन चुकी है और दोनो का चक्कर चलु है | हालाकी जीवन वर्षा को पसंद करता था मगर उसने कभी उसे बताया नाही था | स्टोरी आगे बडती है और वो दिन आता है | जो हर लडके  को लगता है कि ये दिन क्यालेणडर में नही होणा चाहिये था |  और कोनसा भाई वही राखी वाला |वो स्कूल के गेट से अंदर आता है | और आनेके बाद उसे पता चलता है कि आज तो राखी वाला दिन है आज school आणा  ही  नही चाहिये था | तभी सौरव हुसका दोस्त बोलता है यार वो वर्षा तुझे धुंड रही थी क्या बताऊ यारो उसके मन में  क्या क्या चल राहा था | तभी वो school के toilet में जाने लगता है |और सामनेसे वर्षा आ जाती है|

उसे देखके उसके चेहरे के सारे रंग उतर जाते है | तभी कहीसे आवाज अति है सैया तो बनेगे अब भया ! ये सुनतेही उसके चेहरे पे पसीना आता है | और वर्षा मै अभी आता हु ऐसा केह्कर वो वाहसे toilet के लिये भागणे लगता है | अब में क्या करू क्या करू ऐसा सोचने लगता |

आगे क्या होगा ये पडते रहिये 

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